ट्यूनिशिया (Tunisia) से क्रांति की जो चिंगारी भड़की, उसने पूरे खाड़ी क्षेत्र में विरोध की आग लगा दी. क्रांति ऐसी भड़की कि शासकों को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी.
एक थप्पड़ की गूंज कितनी दूर तक जा सकती है ? क्या एक थप्पड़ कई देशों की सरकारों को हिला सकता है ? क्या महज एक थप्पड़ (Mohamed Bouazizi Tunisia Arab Spring) तानाशाहों को गद्दी छोड़कर भागना पड़ सकता है ? अगर हम इसका जवाब हां में कहें तो! अमेरिका (America) ने हाल ही में हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) के संगठन को आतंकवादी घोषित कर दिया है. ट्रंप प्रशासन के इस एक फैसले से पहले ही भुखमरी, अकाल और गृहयुद्ध से जूझ रहे यमन (Yemen) पर फिर से संकट के बादल गहराते दिख रहे हैं. 2010 की शुरुआत में हूती विद्रोहियों और उस समय की यमन सरकार के बीच सुलह होती दिख रही थी. लेकिन तभी एक ऐसी घटना हुई, जिसने अरब देशों (Arab Spring) के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया.
ट्यूनिशिया (Tunisia) से क्रांति की जो चिंगारी भड़की, उसने पूरे खाड़ी क्षेत्र में विरोध की आग लगा दी. देखते ही देखते लीबिया (Libya), मिस्र (Egypt), यमन (Yemen), सीरिया (Syria) और बहरीन (Bahrain) में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए. क्रांति ऐसी भड़की कि शासकों को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी. जानते हैं कि आखिर यह सब शुरू कैसे हुआ था ? जवाब है- महज एक थप्पड़ से…
फल वाले युवा की कहानी
मोहम्मद बोआजिजी (Mohamed Bouazizi ), 26 साल का एक युवा. ट्यूनिशिया की सड़कों पर फल की रेहड़ी लगाने वाला एक शख्स. वो जिस बाजार में रेहड़ी लगाता था, वहां भ्रष्टाचार चरम पर था. घमंड से चूर पुलिस वाले जब चाहे किसी को लूट लेते थे या किसी को पीट देते थे. 17 दिसंबर, 2010 को बोआजिजी रेहड़ी लेकर बाजार में जा रहा था, तभी दो पुलिसवालों ने उसका रास्ता रोक लिया. इन्होंने उसके फल छीनने की कोशिश की, जिसका बोआजिजी ने विरोध किया. शिकायत पर परेशान करने वाली पुलिसकर्मी को डांट पड़ी.
भरे बाजार में थप्पड़ मारा
मगर इससे महिला पुलिसकर्मी फेयदा हामिदी और ज्यादा भड़क उठी. उसने बोआजिजी की रेहड़ी से सेब की टोकरी उठाई और अपनी कार में रख ली. युवक ने फिर से इसका विरोध किया, तो पुलिसकर्मी ने उसकी डंडे से पिटाई कर दी. 50 से ज्यादा लोगों के बीच हामिदी ने बोआजिजी को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. यही नहीं पुलिसकर्मी ने उसके मुंह पर थूक भी दिया. इस घटना से वह शर्म से गड़ गया.
खुद को जला लिया
इस घटना से बहुत ज्यादा दुखी बोआजिजी ने गवर्नर ऑफिस जाकर शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. उसने धमकी भी दी कि अगर उसकी नहीं सुनी गई, तो वह खुद को आग लगा लेगा. थोड़ी देर बाद वह गवर्नर ऑफिस लौटा और बीच सड़क खुद को आग लगा ली. वह 90 फीसदी तक झुलस गया. मौत से संघर्ष के बाद 4 जनवरी, 2011 को बोआजिजी ने दम तोड़ दिया.
राष्ट्रपति को देश छोड़ भागना पड़ा
मोहम्मद बोआजिजी के अंतिम संस्कार में 5000 से ज्यादा लोग जुटे. विद्रोह के सुर 23 साल से सत्ता में काबिज जाइन अल आबिदीन के राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंची. बोआजिजी की मौत के महज 10 दिनों के भीतर ही पूरे ट्यूनिशिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. लोगों में गुस्सा इतना ज्यादा था कि सरकार के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई. राष्ट्रपति बेन अली को देश छोड़कर भागना पड़ा. 14 जनवरी को वह अपने परिवार के साथ पहले पेरिस में शरण लेने की कोशिश की. मगर फ्रांसीसी सरकार ने इनकार कर दिया. बाद में शर्तों के साथ उन्हें सउदी अरब में शरण लेनी पड़ी.
कई देशों तक फैल गई क्रांति
यह क्रांति सिर्फ ट्यूनिशिया तक नहीं रुकी बल्कि इसने देखते-देखते कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया. ट्यूनिशिया के बाद लीबिया, मिस्र, यमन, सीरिया और बहरीन में भी हजारों लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. 2011 में मिस्र का तहरीर चौक अरब क्रांति की नई तस्वीर बन गई. न सिर्फ बेन अली, गद्दाफी, होस्नी मुबारक और अली अब्दुल्ला सालेह जैसे शासकों को सत्ता छोड़नी पड़ी. मोरक्को, इराक, अल्जीरिया, ईरान, लेबनान, जॉर्डन, कुवैत, ओमान तक प्रदर्शन देखने को मिले.